केतु दोष

भारतीय वैदिक ज्योतिष में केतु को आध्यात्मिकता से जुड़ा ग्रह माना जाता है तथा इसका प्रबल प्रभाव जातक को आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत बड़ीं उपलब्धियां प्राप्त करवा सकता है। हालांकि कोई जातक गुरू के प्रभाव के कारण भी आध्यात्मिक क्षेत्र में उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है किन्तु आध्यात्मिक क्षेत्र में होने के बावजूद भी गुरू तथा केतु के प्रभाव वाले जातकों में सामान्यतया बहुत अंतर होता है। गुरू के प्रभाव वाले जातक आम तौर पर अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ने के साथ-साथ दुनियावी रिश्तों तथा जिम्मेदारियों का पालन करने में भी प्रबल विश्वास रखते हैं जबकि केतु के प्रभाव वाले जातक आम तौर पर आध्यात्म के सामने दुनियादारी तथा रिश्तों-नातों को तुच्छ मानते हैं तथा अपनी दुनियावी जिम्मेदारियां और रिश्ते छोड़ कर केवल आध्यात्म की तरफ ही ध्यान देते हैं।

केतु भी राहु की भांति ही एक छाया ग्रह हैं तथा मनुष्य के शरीर में केतु मुख्य रूप से अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। ज्योतिष की गणनाओं के लिए केतु को ज्योतिषियों का एक वर्ग तटस्थ अथवा नपुंसक ग्रह मानता है जबकि ज्योतिषियों का एक दूसरा वर्ग इन्हें नर ग्रह मानता है। केतु स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह हैं तथा मंगल के प्रतिनिधित्व में आने वाले कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व केतु भी करते हैं।

कुंडली में केतु के स्थिति विशेष अथवा किसी बुरे ग्रह की दृष्टि के कारण बलहीन होने पर जातक मानसिक रोगों तथा बाहरी बाधाओं से पीड़ित हो सकता है। इसके अतिरिक्त जातक के शरीर का कोई अंग किसी दुर्घटना अथवा लड़ाई में भंग भी हो सकता है तथा जातक को अपने जीवन में कई बार शल्य चिकित्सा करवानी पड़ सकती है जिसके कारण उसके शरीर की बार-बार चीर-फाड़ हो सकती है।

जन्‍नत सी जिंदगी को जहन्‍नुम बना सकते हैं कुंडली के ये ग्रह दोष! जानें लक्षण और उपाय

कुंडली में राहु-केतु कमजोर हों या अशुभ स्थिति में हो तो इसे राहु-केतु ग्रह दोष कहते हैं. यह जीवन में कई मुसीबतों का कारण बनता है. इसे ठीक करने के लिए जल्‍द उपाय कर लेना चाहिए.

कुंडली में केतु पर किसी बुरे ग्रह का विशेष प्रभाव जातक को कानों तथा पैरों के दर्द अथवा इन अंगों से संबंधित बिमारियों, शरीर पर तेज़ धार हथियार से हमला होने जैसी घटनाओं, मानसिक विक्षिप्तता तथा अतयंत मानसिक पीड़ा से भी पीड़ित कर सकता है। केतु पर किसी बुरे ग्रह का विशेष प्रभाव जातक को जीवन भर शहर से शहर और देश से देश भटकने पर बाध्य कर सकता है। ऐसे जातक अपने जीवन में अधिक समय तक एक स्थान पर टिक कर नहीं रह पाते तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते ही रहते हैं।

केतु महादशा उपचार (Ketu remedies for Mahadasha)

अगर आप केतु की महादशा से पीड़ित हैं तो इसके उपचार के लिए लकड़ी केक चार टुकड़े चार दिन तक बहते पानी में प्रवाहित करना चाहिए. कन्याओं को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करना चाहिए. ग़रीब अथवा ब्रह्मणों को कम्बल दान करना चाहिए. प्रतिदिन गणेश जी पूजा करनी चाहिए और गणपति जी को लड्डू का भोग लगाना चाहिए. बहते जल में कोयले के 21 टुकड़े प्रवाहित करना चाहिए. दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लहसुनियां चांदी में धारण करना चाहिए.

ज्‍योतिष शास्‍त्र में राहु-केतु ग्रहों को अशुभ माना गया है. ये छाया ग्रह हैं और इनके पास किसी भी राशि का स्‍वामित्‍व नहीं होता है. यदि कुंडली में राहु-केतु दोष हो तो इसके लक्षण पहचान कर तुरंत उपाय कर लेना चाहिए. राहु-केतु दोष की शांति करने में की गई देरी जिंदगी बर्बाद कर सकती है. राहु-केतु डेढ़ साल में गोचर करते हैं इसलिए इनका अच्‍छा-बुरा असर भी लोगों पर ज्‍यादा समय तक रहता है. आइए जानते हैं खराब राहु और केतु के क्‍या लक्षण हैं और इन्‍हें ठीक करने के लिए क्‍या उपाय करना चाहिए.

कमजोर राहु के संकेत

यदि राहु कमजोर स्थिति में हो और राहु ग्रह की तत्‍कालीन स्थिति आपके लिए अशुभ हो तो जीवन में अचानक घटनाएं घटित होने लगती हैं. अनिद्रा की समस्‍या होने लगती है. डरावने सपने, मानसिक उलझनें चैन नहीं लेने देती हैं. व्‍यक्ति आलस का शिकार हो जाता है, उसके शरीर में अकड़न होने लगती है. उसका कामकाज ठप्‍प होने लगता है.

कमजोर केतु के संकेत

कमजोर केतु भी अनिद्रा की समस्या देता है. इसके अलावा व्‍यक्ति को मेहनत के बाद भी पैसा कमाने में सफलता नहीं मिलती है. उसके घर में झगड़े होने लगते हैं. रिश्‍ते बिगड़ते हैं. संतान संबंधी कष्‍ट होता है. इसके अलावा जोड़ों में दर्द, चर्म रोग, रीढ़ की हड्डी में दर्द, घुटनों का दर्द आदि हो सकता है.

राहु-केतु दोष दूर करने के उपाय

  • – राहु-केतु दोष दूर करने के लिए मां दुर्गा की नियमित पूजा करना बहुत लाभ देता है. कम से कम हर रविवार को मां दुर्गा की पूजा जरूर करें. इससे राहु-केतु का प्रकोप दूर होता है.
  • -राहु-केतु दोष दूर करने के लिए राहु का बीज मन्त्र ‘ॐ रां राहवे नमः’ अैर केतु के बीज मन्त्र ‘ॐ कें केतवे नमः’ का कम से कम 108 बार जाप करें.
  • – राहु-केतु के अशुभ असर को दूर करने में ‘ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का रोज कम से कम 108 बार जाप करना भी बहुत लाभ देता है. इससे कष्‍ट कम होने लगते हैं.
  • – राहु और केतु दोष को दूर करने के लिए कुत्ते को नियमित रोटी खिलाना आसान और प्रभावी उपाय है.